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वक्त मिलता है तो अब मां से ज़्यादा बातें करता हूं। पहले बाबूजी से करता था। मां के किस्से बाबूजी के किस्सा संसार से बिल्कुल अलग हैं। बताने लगीं कि पचीस साल पहले गांव में किसी की बेटी पैदा हुई। खोजवा। खोजवा का मतलब हिजड़ा। परिवार के लोग उसे हिजड़े को देने का मन बना रहे थे लेकिन सहमे हुए थे। अचानक जब मां गांव पहुंची तो औरतों ने चुपके से बुला लिया। सुनते ही कि इसे कोई और ले जाएगा, मां बिगड़ गईं। बोली कि जाकर डॉक्टर से ऑपरेशन कराओ और इसे पाल पोस कर बड़ा कर दो। लड़की कैसे फेंक दोगे। परिवार को हिम्मत मिल गई। गांव की औरतों में मां की बड़ी साख है। वो परिवार चुपके से नवजात लड़की को लेकर गया और आपरेशन करवाया। लड़की ठीक हो गई और अब तो उसके तीन बड़े-बड़े बच्चे भी हैं। हिज़ड़ों की ग्लानी और मुश्किल भरी दुनिया में जाने से वो लड़की बच गई। छोटे-छोटे साहसिक फैसलों से ज़िंदगी कितनी बदल जाती है। गांव के लोगों की अफवाहों को मां झुठलाते रही। पचीस साल पुराना किस्सा पुराने चावल के भात की तरह सुगंधित लग रहा है। ऐसे कई किस्से हैं मां के पास।
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